Monday 1 September 2014

"मोहब्बत का अखबार"

हर रोज़ सुबह ताज़ी ख़बरों के साथ आते अखबार की तरह
आज ये हवाएं तम्हारी एक नईं याद ले आयीं

और देखते ही देखते तम्हारा धुंदला सा चेहरा सामने आ गया

अखबार में छपी उन BOLD HEADLINES की तरह
तम्हारी उन गहरी आँखों पे मैं ज़रा ठहर सा गया

EDITORIAL में छपी उन गहरी बातों की तरह ,
अपने अन्दर उठे हुए इस एहसास को समझने की कोशिश करने मैं लग गया

कुछ वक़्त लगा पर OPINION वाले पेज की तरह कुछ कुछ समझ में आ रहा था

धीरे धीरे ही सही पर  PUBLIC FEEDBACK  की तरह
कई सवाल, कुछ जवाब

और कुछ उमीदें उन PAID ADVERTISEMENT जैसी की तम्हारे इस एहसास को
ओझल करने लग्ग गयी

किसी SPORTS PAGE पे छपी उन जीत और हार की ख़बरों की तरह ,

मेरा मन भी खुशी और गम के उस BORDER पे आ खड़ा हुआ था

डर गया था शायद मैं, इस लिए तुरंत
एक पुरे पढ़े हुए अखबार की तरह

आज फिर तम्हारी यादों को यहीं बंद कर रहा हूँ
कल फिर खोलूँगा और महसूस करूँगा इनको

शायद अगले दिन    के अखबार की तरह
कोई नया जवाब लेके , कल फिर ये आ जायें


तम्हारी यादों से भरे हुए उस पिटारे को बंद तो किया

पर तब तक इतना तो  इतना तो sure हो गया था


की ये "मोहब्बत का अखबार" था
ohh sorry ऐतबार था

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