Friday 25 July 2014

(Part 2) **** कैन्टीन ***




सुबह सुबह का टाइम, सूरज के कहर का वक़्त भी हो ही रहा था
की वो आज फिर सामने आ गयी, और लो भैया हो गया कहर preponed.

तुम लोग भी सोच रहे होगे ना, की हम यूँही फर्जी की बैकैती करते रहते है
अबे तो तुम तारीफ करने को बोले ही नहीं, और जानते तो हो हम कितने shy है

इससे पहले की हम आगे कोई write up लिखे, आज पहले तारीफ़ किये देते है
beauty with brain, से शुरुआत करते है, अरे मतलब खूबसूरती और अकलमंदी|

जैसा की हम हमेशा कहते है की खूबसूरती के कई भाव होते है
जैसे मासूमियत,अकलमंदी,परवाह,सादगी,सैंयम,बचपना,भावुकता,चंचलता..
बस यूँ समझ लो की की वो इन सभी भावो का मिलाजुला संगम है,

और हमारी दिली तम्मना ये है की बस नहाने को मिल जाए इस संगम में,

रोमांटिक हो रहे है ना हम, हाँ तो write up हमारा तो मर्ज़ी हमारी
वैसे नहाने से हमारा मतलब था की उसे समझने को मिल जाये, तुम का सोचे??

खैर फिल्मो में तुमने आँखें झील जैसी सुनी होंगी,
पर शायद उसकी आँखें समुन्द्र से भी गहरी होंगी, देखने का मौका नहीं मिला वैसे|
,
गाल गुलाबी नहीं है, सफ़ेद है, और हमारी तुम्हारी तरह pimple भी नहीं है, lolz
बाल भाई काले है,पीछे बैठ नोटिस किया था एक दिन शैम्पू शायद dove लगाती है
इससे ज्यादा डिटेल में अभी नहीं जायेंगे, वरना no ball हो जाएगी

इत्ता ज़रूर कहेंगे की, इन सारे भावों के लिए वो हमारे लिए खुबसूरत है,
चाहे जैसी भी हो ,1 in a million है हमारे लिए

उसकी हर एक हरकत को , ऐसे खो के observe करते है, जैसे
वैज्ञानिक अपनी खोज को, वो समझ लो हमारी खोज ही है, 

और  किसी ने कहा ही है , इश्क एक खोज है,
किसने? sure हम भी नहीं है, नहीं कहा तो चलो हम कहे देते है....

 और लिखने का मन कर रहा है, पर हटो फिर कभी;

वैसे वो कैंटीन में आई, हमें देख के उसने hiii किया

पलट के हमने भी hiii कर दिया, मन तो कर रहा था की हाaaaए.... कर दें

पर भाई थप्पड़ और decoram का डर हमें लकवा मार गया |

चलो चलते हैं अभी, class का time हो रहा है |

ALVIDAA , GUD BYE

incase you missed the the sequence here is link to Part 1

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